पादप याउद्भिद (plant) जीवजगत का एक बड़ी श्रेणी है जिसके अधिकांश सदस्यप्रकाश संश्लेषण द्वारा शर्कराजातीय खाद्य बनाने में समर्थ होते हैं। ये गमनागम (locomotion) नहीं कर सकते। वृक्ष, फर्न (Fern), मॉस (mosses) आदि पादप हैं।हरा शैवाल (green algae) भी पादप है जबकि लाल/भूरे सीवीड (seaweeds),कवक (fungi) औरजीवाणु (bacteria) पादप के अन्तर्गत नहीं आते। पादपों के सभी प्रजातियों की कुल संख्या की गणना करना कठिन है किन्तु प्रायः माना जाता है कि सन् २०१० में ३ लाख से अधिक प्रजाति के पादप ज्ञात हैं जिनमें से 2.7 लाख से अधिक बीज वाले पादप हैं।
पादप जगत में विविध प्रकार के रंग बिरंगे पौधे हैं। कुछ एककवक पादपो को छोड़कर प्रायः सभी पौधे अपना भोजन स्वयं बना लेते हैं। इनके भोजन बनाने की क्रिया कोप्रकाश-संश्लेषण कहते हैं। पादपों मेंसुकेन्द्रिक प्रकार कीकोशिका पाई जाती है। पादप जगत इतना विविध है कि इसमें एक कोशिकीयशैवाल से लेकर विशालबरगद के वृक्ष शामिल हैं। ध्यातव्य है कि जो जीव अपना भोजन खुद बनाते हैं वे पौधे होते हैं, यह जरूरी नहीं है कि उनकी जड़ें हों ही। इसी कारण कुछ बैक्टीरिया भी, जो कि अपना भोजन खुद बनाते हैं, पौधे की श्रेणी में आते हैं। पौधों को स्वपोषित या प्राथमिक उत्पादक भी कहा जाता है।[2]
संसार की अधिकांश मुक्तआक्सीजन हरे पादपों द्वारा ही दी गयी है। हरे पादप ही धरती की अधिकांश जीवन के आधार हैं।अन्न,फल,सब्जियाँ मानव के मूलभूत भोजन हैं और इनका उत्पादन लाखों वर्षों से हो रहा है। पादप हमारे जीवन मेंफूल औरशृंगार के रूप में प्रयुक्त होते हैं। अभी हाल के वर्षों तक पादपों से ही हमारी अधिकांश दवाइयाँ प्राप्त की जाती थीं।
↑Haeckel G (1866).Generale Morphologie der Organismen. Berlin: Verlag von Georg Reimer. pp.vol.1: i–xxxii,1–574, pls I–II, vol. 2: i–clx,1–462, pls I–VIII.
↑भौतिक भूगोल का स्वरूप, सविन्द्र सिंह, प्रयाग पुस्तक भवन, इलाहाबाद, २०१२, पृष्ठ ६१६, ISBN ८१-८६५३९-७४-३