पणजीभारत केगोवा राज्य की राजधानी औरउत्तर गोवा ज़िले का मुख्यालय है। प्रशासनिक रूप से यहतिस्वाड़ी तालुका में स्थित है। पणजीमांडवी नदी केज्वारनदीमुख पर बसा हुआ है। पणजीवास्को द गामा औरमडगाँव के बाद गोवा का सबसे बड़ तीसरा शहर है।[1][2]
पणजी मांडोवी नदी के बाएँ किनारे पर एक छोटे और आकर्षक शहर है। यह लैटिन शैली में निर्मित है और इसमें लाल छत वाले मकान, आधुनिक घर, अच्छी तरह से रखे उद्यान, मूर्तियाँ दिखती हैं। सड़को के किनारे गुलमोहर, अकेशिया और अन्य पेड़ हैं। मुख्य चौराहे, बारोक शैली की वास्तुकला, पहाड़ों पर लगी सीढ़ियाँ, उपलिका (कोबलस्टोन) से बनी सड़कें और गिरजे पणजी को एक पुर्तगाली माहौल देते हैं।
पणजी का अर्थ है, "वह भूमि जहाँ बाढ़ कभी नहीं होती"। आरम्भ में पुर्तगाली नाम "Pangim" था, जिसे अंग्रेज़ी में पंजिम कहा जाता था। 1960 के दशक के बाद इसकी "पणजी" के रूप में वर्तनी की गई। स्थानीयकोंकणी भाषा में इसे पोणजिम (Ponnjim) कहा जाता है।
सन् 1843 तक यह एक छोटा सा गाँव था। उस समय गोवा औरपुर्तगाली भारत की राजधानी उस स्थान पर थी जो आजपुराना गोवा कहलाता है। पुराने गोवा में प्लेग के प्रकोप से बहुत तबाही मची और 1843 में उपनिवेशी सरकार को उसे छोड़ना पड़ा। तब पणजी राजधानी बना। सन् 1961 मेंगोवा मुक्ति संग्राम के अंतर्गत भारत ने ऑपरेशन विजय नामक सैन्य हस्तक्षेप में गोवा से पुर्तगाली सरकार को हटा दिया और उसे फिर भारत में विलय कर लिया। 1961 से 1987 तक पणजी गोवा, दमन और दीव नामककेन्द्रशासित प्रदेश की राजधानी रहा। 1987 में गोवा को राज्य का दर्जा दिया गया और तक से पणजी उस राज्य की राजधानी है। एक नई विधानसभा परिसर का मार्च 2000 में मांडवी नदी के पार आल्तोपोरवोरिम में उद्घाटन किया गया।
2011 की भारत की जनगणना के अनुसार पणजी की कुल आबादी 114,405 थी, जिसमें से 52% पुरुष और 48% स्त्रियाँ थी। कुलसाक्षरता दर 90.9% था - पुरुषों का 94.6% और स्त्रियों का 86.9%। आबादी का 9.6% अंश 7 वर्ष से कम के बच्चे थे।
पणजी का मौसम गर्मी में गरम और जाड़ों में अच्छा है। गर्मियों में मार्च से मई तक तापमान 32 °सेल्सियस और सर्दियों में नवम्बर से फरवरी तक 31 °सेल्सियस से 23 °सेल्सियस के बीच रहता है। जून से सितम्बर में मॉनसून के दौरान भारी वर्षा और तेज़ हवाएँ चलती हैं। वार्षिक औसतवर्षण 2,932 मिलिमीटर (115.43 इंच) होती है।
शहर के बीच में प्रासा दा इग्रेजा नामक चौक है, जिसमें नगर उद्यान है और पुर्तगाली बारोक शैली का गिरजा है, जिसका निर्माण मूल रूप से 1541 में हुआ था। अन्य पर्यटक आकर्षणों में पुनर्निर्मित सोलहवी शताब्दी का आदिलशाही महल, , इंस्टिट्यूट मेनेज़ेस ब्रगान्ज़ा, सेंट सेबैस्टेन का गिरजा और फोन्टेन्हास क्षेत्र है (जिसे लैटिन क्वारटर भी कहा जाता है)। समीप ही सागर से सटा मिरामर बालूतट (बीच) है। 21 अगस्त 2011 तक यहाँ डोन बोस्को ओरेटरी में जॉन बोस्को नामक ईसाई पादरी की अस्तियाँ रखी जाती थी। दादा वैद्य मार्ग पर महालक्ष्मी मन्दिर है, जिसका आदर सभी धर्मों के स्थानीय निवासी करते हैं और जो नगर का एक मुख्य आकर्षण है।
फरवरी में यहाँ कार्निवाल मनाया जाता है, जिसमें एक भव्य परेड सड़कों पर निकाली जाती है। उसके बाद शिग्मो (होली) का पर्व आता है। दिवाली की रात से पहले नरकासुर परेड भी भव्य होती है।
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