जलवायु के विचार से टर्की दो प्रमुख भागों में विभाजित किया जा सकता है।
1.मैदानी भाग जहाँ की जलवायु भूमध्यसागरीय है और जहाँ जाड़े में करीब 20"" वर्षा होती है,
2.अर्धशुष्क पठारी भाग जिसकी अधिकतम वर्ष का औसत 10"" है।
समुद्रतटीय भागों की जलवायु ग्रीस से मिलती जुलती है जहाँ गर्मी प्राय: शुष्क रहती है और शीतकाल में वर्षा होती है। जाड़े के दिनों में इस क्षेत्र में शीतलहरी भी चलती है काला सागर के तट पर सबसे अधिक वर्षा होती है। पूर्व की ओर तो करीब 100"" वर्षा होती है। अत: ऊँचाई के अनुसार विभिन्न वनस्पतियाँ मिलती हैं। निचले मैदानी भाग में प्राय: छोटे छोटे पेड़ तथा झाड़ियाँ मिलती है, पठारी ढालों पर शीत कटिबंधीय पर्णपाती वन (deciduous forest) तथा 6,000 फुट की ऊँचाई तक कोनिफरस (coniferous) वन तथा और ऊँचाई पर घास के मैदान मिलते हैं।
ऐनाटोलिया के पठारी भाग की जलवायु दक्षिण पूर्वी रूस की जलवायु से मिलती जुलती है जहाँ जाड़े में उत्तर पूर्वी शीतल हवाएँ चलती हैं, जिनसे ताप कभी कभी शून्य अंश सेंटीग्रेड तक पहुँच जाता है। गर्मी में अधिक गर्मी पड़ती है तथा कभी कभी आँधी भी आती है। वर्षा 10"" से कम होती है। जाड़े में लगभग तीन महीनों तक बर्फ पड़ती रहती है। फलस्वरूप यह पेड़ों से रहित शुष्क घास का मैदान है। आरमीनिया का पहाड़ी भाग और भी ठंडा है जहाँ जाड़े की ऋतु छह महीनें की होती है। इसीलिए लोग इस भाग को "टर्की का साइवीरिया" कहते हैं।
एशियाई टर्की का मुख्य उद्यम कृषि एवं चरागाही हैं। गेहूँ मुख्य फसल है, जो कृष्य भूमि के 45 प्रतिशत भाग में उपजाया जाता है। इसके आधे भाग में जौ उपजाया जाता है। तीन प्रतिशत भाग में कपास तथा एक प्रतिशत भाग में तंबाकू की खेती होती है।
यहाँ से निर्यात होनेवाली वस्तुओं में गेहूँ, ऊन, तंबाकू, अंजीर तथा किशमिश मुख्य हैं।
यहाँ के मुख्य खनिज पदार्थ कोयला, लिग्नाइट, लोहा, ताँबा, मैंगनीज, सीसा, जस्ता, क्रोम तथा एमरी हैं; किंतु लिग्नाइट, लोहा तथा क्रोम का अत्यधिक उत्पादन होता है।
टर्की को भौगोलिक दृष्टि से पाँच मुख्य भागों में विभाजित किया जा सकता है:
- मारमारा का निचला मैदान -
पश्चिम में डारडनेल्ज और पूर्व से बाँसपोरस के जलडमरूमध्य के बीच में स्थित मारमारा समुद्र यूरोप और एशिया के बीच की सीमा निर्धारित करता है। उत्तर की ओर यूरोप में थ्रैस का मैदान तथा दक्षिण की ओर ट्रॉय, वरसा और विथुनिया के मैदान मिलते हैं। वार्षिक वर्ष 120"" के निकट है। गेहूँ, जौ, जई, जैतून, अंगूर तथा तंबाकू उपजाई जाती है। जैतून इस देश के लिये बहुत महत्वपूर्ण वस्तु है। इसका उपयोग मक्खन के अभाव में होता है। इस क्षेत्र में 750 फुट से निचले स्थलों में कृषि मुख्य उद्यम है। खेती करने कराने का ढंग बड़ा पुराना है, भारतीय देशी हल की भाँति के हल का उपयोग होता है, पर लोहे के हल का उपयोग बढ़ता जा रहा है।
इस्तैम्बूल टर्की का सबसे बड़ा नगर है। यह बॉसपोरस जलडमरूमध्य के दक्षिण ओर एक पहाड़ी पर स्थित है। यहाँ की "गोल्डेन हार्न" नामक लंबी खाड़ी के कारण यह अच्छा बंदरगाह भी हो गया है। जलडमरूमध्य कहीं भी पाँच मील से अधिक चौड़ा नहीं है, कुछ स्थल पर इसकी चौड़ाई आधा मील ही है।
- कालासागर का समुद्रतट -
यहाँ का समुद्रतट कम समतल है और पर्वतीय भाग दक्षिण की ओर एकाएक ऊपर उठते हैं। अत: यहाँ बंदरगाहों का निर्माण बहुत कम हो पाया है। बस्तियाँ इसी सँकरे भाग तक ही सीमित हैं। वर्षा की अधिकता के कारण जंगली क्षेत्र अधिक हैं, जिनमें चेस्टनट वृक्ष मुख्य हैं। लकड़ी का काम यहाँ का मुख्य उद्यम है। तंबाकू दूसरी निर्यात की वस्तु है। दक्षिण की ओर पॉण्टस का पहाड़ी भाग पूर्व से पश्चिम की ओर फैला हुआ है। इसका अधिकतर भाग जंगली तथा घास का मैदान है। भीतरी भाग में जहाँ की ऊँचाई 3,000 फुट से लेकर 6,000 फुट तक है, अर्धमरुस्थलीय वातावरण मिलता है। यहाँ जनसंख्या भी विरल है। पूर्व की ओर कुछ कोयला क्षेत्र है, जिसका प्रति वर्ष उत्पादन 30 लाख मीट्रिक टन है।
- भूमध्यसागरीय तट -
टर्की का पूर्वी तथा पश्चिमी निचला मैदान कृषि के विचार से अधिक महत्वपूर्ण है। भूमध्यसागरीय जलवायु होने के कारण यहाँ तीन से लेकर छह महीने तक गर्मी की शुष्क ऋतु होती है और जाड़े में करीब 20"" वर्षा होती हैं। इजीयन सागर के तट पर बस्तियाँ बड़ी घनी हैं। अनेक धँसी हुई घाटियों में मिट्टी का पूर्णत: अथवा आंशिक जमाव हो गया है जिससे खेती के लिए उपजाऊ मैदान निर्मित हो गए हैं। यहाँ के तीन मैदानी भाग अधिक महत्वपूर्ण हैं। प्रथम पश्चिम में इजमिर के पीछे, मध्य में अंटालया के आसपास पंफीलियन का मैदान तथा उत्तर-पूर्व कें काने पर अदागा के पास सिलीसियन का मैदान है। यहीं पर एक बीहड़ दर्रे से होकर बगदाद रेलवे जाती है।
गेहूँ तथाजौ मुख्य फसलें हैं। कपास हर एक मैदानी भाग में होती है, विशेषकर सिलीसियन के मैदान में। इजमिर के आसपास अंगूर, किचामिश, जैतून, अंजीर तथा अफीम अधिक होती है। टॉरस पर्वतमालाएँ जंगलों से ढकी हैं परंतु वृक्ष 8,500 फुट की ऊँचाई तक ही सीमित हैं। पहाड़ों पर बर्फ अधिक पड़ती है।
- ऐनाटोलिया का पठार -
इसकी ऊँचाई पश्चिम में 2,000 फुट तक और पूर्व में 4,000 फुट तक है। यह 10,000 फुट से भी अधिक ऊँचे टॉरस और पॉण्टस पर्वतमालाओं से घिरा हुआ है। टर्की का भीतरी भाग ऊँचे बेसिन की भाँति है। जहाँ तहाँ ऊँचे पहाड़ भी मिलते हैं। अधिकांश भाग का जलप्रवाह भीतर की ओर है और नदियाँ या तो झीलों में गिरती हैं अथवा नमकीन निचले दलदलों में लुप्त हो जाती हैं। परंतु कुछ नदियाँ पर्वतों को काटती और गुफाएँ निर्मित करती हुई बहती हैं। चारों तरु ऊँचे पर्वतों से घिरे रहने के कारण यह भाग जाड़े तथा गर्मी दोनों मौसमों में भापभरी हवाओं से साधारणतया वंचित रहने के कारण शुष्क रहता है, वार्षिक वर्ष का औसत लगभग 10"" है। जाड़े में भूमि कभी कभी बर्फ से ढक जाती है। गर्मी में गरम तथा तेज हवाएँ चलती हैं। अत: शुष्क प्रदेशों में मिट्टी हट गई है ओर मरुस्थलीय कंकड़ों का उभार हो गया है। इस अर्धशुष्क घास के मैदानों में भेड़ बकरियाँ पाली जाती हैं। दूध दही का समावेश यहाँ के भोजन में अधिक होता है। ऊन तथा ऊनी कंबल तैयार करना मुख्य पेशा है। अंगोरा से उनका निर्यात होता है। गर्मी के दिनों में गड़ेरिए अपने जानवरों के साथ पहाड़ों पर चले जाते हैं और अन्य मौसम में मैदानी भाग में उतर आते हैं। जहाँ सिंचाई के साधन उपलब्ध हैं वहाँ गेहूँ की खेती होती है। इस पठार में टर्की की एक तिहाई जनसंख्या रहती है। ऐनाटोलिया का यह पठारी भाग तुर्क ो का मुख्य स्थान है। टर्की की राजधानी अंकारा इसी भाग में स्थित है।
- आरमीनिया का पहाड़ी भाग -
टर्की के पूर्व में पॉण्टस तथा टॉरस पर्वतश्रेणियाँ मिलकर आरमीनिया के पहाड़ी भाग का निर्माण करती हैं। यहीं से दजला और फरात नदियाँ निकलती हैं। उत्तर और दक्षिण की ओर से पहाड़ी श्रेणियाँ मध्य के पठार को घेरती हैं। दक्षिण की ओर टॉरस की क्षेणी कुर्दिस्तान तथा उत्तर की ओर पॉण्टस की श्रेणी कारावाग, इस भाग को घेरे हुए हैं। ज्वालामुखी पर्वत तथा लाबा के विस्तार से धरातल और भी ऊँचा नीचा हो गया है। ऊँचाई के कारण यह भाग अधिक ठंडा रहता है और बहुत से दरें वर्ष में करीब आठ महीने तक बर्फ से ढके रहते हैं। पूर्व की ओर अरादार ज्वालामुखी पर्वत (19,916 फुट) टर्की, ईरान और रूस की सीमा पर स्थित है। कृषि की अपेक्षा चरागाही इस क्षेत्र में अधिक महत्वपूर्ण है।