खपड़ा पर बरखा क बुन्नी गिरत बा,यूनान क एगो दृश्यकलकत्ता शहर में बरखाबरखा क दूर से देखल गइल एगो दृश्य
बरखा एगोमौसम से संबंधित घटना हवे जेवना में पानीबुन्नी की रूप में आसमान से जमीन पर गिरेला। ईवर्षण क एगो रूप हवे जेवना में पानीद्रव की रूप में नीचे गिरेला। बुन्नी की आकार की हिसाब से बरखा के फँकारी, झींसी, झींसा, बुन्नी कहल जाला। जमीन आसमुन्द्र से भाप बन के उड़े वाला पानी आसमान में ऊपर जा केसंघनन की कारण बहुत छोट-छोट बुन्नी आ बरफ में बदल जाला जेवना से बादर बनेला। जब आपस में मिल के ई बुन्नी बड़ होजाली तब पृथ्वी कीगुरुत्वाकर्षण से खिंचा के जमीन की ओर गिरे लागेली जेवना के बरखा कहल जाला।
बरखा पृथ्वी कीजल-चक्र क एगो बहुत महत्व वाला घटना आ हिस्सा हवे काहें से की जमीन की ऊपरमीठा पानी क सबसे ढेर पुर्ती एही बरखे से होले। खेती खातिर बरखा क महत्व बहुत बा काहें से कि सिंचनी क ई प्राकृतिक साधन हवे जेवन प्रकृति हमनी के फिरी में दिहले बा। भारत जइसन देस में खेतीबारी में पैदावार बहुत ढेर मात्रा में बरखा पर निर्भर होला।
बरखा क विश्व में वितरण सब जगह एक्के नियर ना मिलेला। कहीं बहुत कम बरखा होले त कहीं बहत ढेर। एही तरे विश्व में कुछ जगहन पर साल भर रोज बरखा होला, कुच्छ जगह गर्मी में बरखा होला, कुछ जगह जाड़ा की सीजन में, आ कुछ जगह, जइसे कि भारत में, बरसात क अलग सीजने होला। भारत कीमेघालय राज्य मेंचेरापूँजी में विश्व क सबसे ढेर बरखा होला।