ओजोन भाट्राईऑक्सीजन एगो अकार्बनिक अणु (मॉलिक्यूल) हवे जेकर केमिकल फार्मूलाO3 हवे। ईआक्सीजन के एलोट्रोप हवे। आक्सीजन के दुसर एलोट्रोप, डायेटामिक आक्सीजन (O2) के तुलना में ई कम स्थाई होले आ निचलावायुमंडल में ओजोन के अणु टूट के डायेटामिक आक्सीजन में बदले लें। ओजोन पियाराहूँ नीला रंग के आ तीखा गंध वाली गैस के रूप में पावल जाले।
पृथ्वी केवायुमंडल में एकर एगो परत 20 से 30 किलोमीटर के ऊँचाई पर पावल जाले जेकरा केओजोन परत कहल जाला। एह परत में ओजोन के निर्माण आ बिनास के काम लगातार चलत रहे ला। एह ऊँचाई पर सुरुज के रेडियेशन के अल्ट्रावायलेट किरन सभ के आ इलेक्ट्रोमैग्नेटिक डिस्चार्ज के सोख के आक्सीजन के अणु टूट जाले आ तीन गो मॉलीक्यूलर आक्सीजन (O) आपस में जुड़ के ओजोन बनावे लें। एह परत के मोटाई सीजन अनुसार आ पृथ्वी के क्षेत्र अनुसार अलग-अलग पावल जाले। पृथ्वी पर जीवन खाती ई ओजोन गैस आ एकर वायुमंडल में मौजूद परत बहुत महत्व के हवे। कारन ई बा की ज्यादातर जीवधारी सभ खाती सुरुज के अल्ट्रावायलेट किरन नोकसानदेह होलीं, जिनहन के ज्यादातर हिस्सा एही ओजोन परत द्वारा सोख लिहल जाला। एह से पृथ्वी के जिया-जंतु सभ के खाती ई परत एक तरह के सुरक्षा ढाल के काम करे ले। मनुष्य के औद्योगिक कामकाज के चलते कई ठे अइसन गैस वायुमंडल में चहुँप रहल बाड़ी जे एह परत में ओजोन के बने के काम के धीरे क देलीं जेकरे कारन ओजोन परत के मोटाई में कमी आ रहल बा। एह घटना केओजोन कटाव कहल जाला। ध्रुव वाला इलाका में ई परत साल के कुछ हिस्सा में अतना पातर हो जाले की एकरा के ओजोन छेद के नाँव दिहल जाला।
ओजोन गैस, बहुत तगड़ा ऑक्सीडेंट होले जेकरे कारण एकर कई तरह के उद्योग सभ में इस्तेमाल कइल जाला।
- ↑This vapor pressure is for thecritical temperature, which is belowroom temperature.