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The article is full of unsourced information. Such misleading information are often compiled by the caste members on the caste articles to glorify their caste status by putting fake caste histories. I request all editors to please help cleanup and source the contents as early as possible.--MahenSingha(Talk)08:50, 27 October 2015 (UTC)[reply]
I have returned the article back to its original content, as none of the amendments were referenced.
--WALTHAM2 (talk)20:21, 2 December 2011 (UTC)[reply]
I just cut out about 40% of the article, because it was entirely unsourced; I also think it was probablyWP:UNDUE. Our most basic policies require that information in Wikipedia beverified byreliable sources. To be honest, I'm concerned about much of the rest of the text, as I'm not sure how much of it is actually found in the books listed (it seems a bit more detailed than one would usually find in such an academic book), but I'll leave it for now.Qwyrxian (talk)02:25, 12 December 2011 (UTC)[reply]
The given source says-"छोटीसादड़ी -!- अखिल भारतीय वीरवाल जैन समाज के गुरु समीर मुनि की 34वीं पुण्यतिथि मार्च माह में अहिंसा नगर ओछड़ी में मनाई जाएगी। वीरवाल समाज के जिलाध्यक्ष राकेश कुमार सांवरिया ने बताया कि गुरु की पुण्यतिथि अहिंसा संकल्प के रूप में मनाई जाएगी। इसी दिन आगामी माह में प्रस्तावित सामूहिक विवाह सम्मेलन के लिए युवक युवती परिचय सम्मेलन भी आयोजित किया जाएगा।"Translating it to english it becomes-The All India Veerwal Jain Samaj (society)'s mentor Guru Sameer Swami's 34th death anniversary will be celebrated in the month of March at Ahinsa Nagar, Ochhadi (Place). The Dstrict President of the Veerwal Samaj Mr. Rakesh Kumar Sanwariya told that the said anniversary will be celebrated with the youth boys and girls introduction for Mass Marriages.Now where is the so called Veerwal Movement in this news article. Please stop fooling the people by citing a source of different language. If still there is anything with valid support of the valid sources then please go ahead positively. You are most welcome to publish the facts. Thanks.--MahenSingha(Talk)20:00, 16 May 2017 (UTC)[reply]
राजस्थान में खटीक मुसलमान की स्थिति बहुत ही दयनीय है इस जाति के लोग चमड़े का कार्य करते हैं इस जाति में शिक्षा का स्तर बहुत ही निमन है न हीं इस जाति का कोई व्यक्ति राजनीतिक पद पर है इस जाति को राजस्थान में अनुसूचित जाति अन्य पिछड़ा वर्ग किसी ने भी सम्मिलित नहीं कर रखा। इस जाति के लोग राजस्थान में बीकानेर चूरू नोहर भादरा राजगढ़ सरदारशहर आदि गांव में रहते हैं। सामाजिक रूप से इस जाति के लोग बहुत ही पिछड़े हुए हैं और ना ही किसी सरकारी सेवा में अपनी सेवा दे रहे हैं।2409:4052:4E94:C8EA:0:0:2D8B:6E07 (talk)13:03, 25 January 2022 (UTC)[reply]
They are kshatriyaIshanbhardwad (talk)04:31, 8 January 2023 (UTC)[reply]
They are the most superior in khatik caste according to the census 1961 report. They also claim that they have a suryavanshi rajput origin because there are many similarities between them and the rajputs.Ishanbhardwad (talk)03:23, 5 April 2023 (UTC)[reply]
वीर खटिक जाति का इतिहास खटिक जाति भारत की एक योद्धा जाति हे। यह जाति पाकिस्तान अफगानिस्तान नेपाल बांग्लादेश में भी पाई जाती हे। अधिकांश खटिक हिंदू हे। खटिक जाति मुस्लिमों में भी पाई जाती हे।खटिक का अर्थ खट्ट से सिर को धड़ से एक ही बार में अलग करने वाला एक बलवान व्यक्ति/योद्धा/शिकारी/सैनिक।आदिकाल में मंदिरों और यज्ञ में खटिक जाति के द्वारा ही बलि दी जाती थी। इन्ही के हाथो दी गई बलि ही स्वीकार होती थी।खटिक जाति के लोग बड़े वीर निडर और साहसी होते हे ये लोग विरोधियों से लोहा लेने वाले होते हे।खटिक जाति वर्तमान में अन्य पिछड़ा वर्ग में सम्मिलित हे लेकिन कुछ स्थानों पर अनुसूचित जाति में सम्मिलित हे। खटिक जाति गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, उड़ीसा, हिमाचल प्रदेश, कश्मीर, उत्तराखंड, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ आदि जगह OBC में वर्गीकृत हे तथा उत्तर प्रदेश राजस्थान आदि जगह sc में वर्गीकृत हे।खटिक जाति के लोग सवर्ण और पिछड़ी जातियों की तरह दलित या अछूत जातियों से दूरी बनाकर रखते हे उनका खाने पीने से परहेज़ करते हे। खटिक जाति में चमार, धानक, कोली, हरिजन, मेघवाल, धोबी, भील, लोहार इत्यादि जातियों में खान पीन पर पाबंद हे लेकिन यादव, गुर्जर, राजपूत कुम्हार आदि जातियों का खा पी सकते हे और उनसे संबंध बना सकते हे।सोनकर जाति की मान्यतानुसार उनकी उत्पत्ति की परंपरा अलग हे मुगल आक्रमण के चलते सोनकर समुदाय ने जंगली सुअर पालने का फैसला लिया जिसके चलते वे हीन भावना से देखे जाने लगे और उनकी स्तिथि गिरी। अन्य खटिक उपजातियों ने भी सोनकर समुदाय का त्याग किया और रोटी बेटी का संबंध तोड़ दिया।हालाकि वर्तमान में शिक्षा की बदौलत सम्पूर्ण हिंदू जातियां एक झंडे की नीचे आने लगे हे।ऐतिहासिक रूप से खटिक योद्धा रहे हे इन्होंने महाराष्ट्र और उड़ीसा के कई भागों पर शासन किया हे।खटिक जाति का परंपरागत कार्य सैनिकों तथा राजाओं के रसोइया के रूप में रहा हे।वर्तमान में खटिक भेड़ बकरों का व्यापार करते हैं।यह जानवरो की सबसे बड़ी व्यापारी जातियों में से एक हे।मुगल आक्रमण के चलते इनके व्यवसाय में परिवर्तन आया और ये सैनिक कार्य से हटकर मीट के व्यापारी बन गए।खटिक के बराबर की जाति कुरैशी हे। दोनो जातियों का एक समान कार्य और रहन सहन रहा हे हालाकि धर्म अलग हे।खटिक जाति की उत्पत्ति महाराजा खटवांग से हुई हे। कालांतर में ये कई उप जातियों में बटे।खटिक जाति के लोग सनातन धर्म के रक्षक होते हे।खटिक जाति के लोग शारीरिक कद काठी से अच्छे तथा रूप से सौंदर्य होते हे। ग्रीक इतिहासकारों ने भी इनकी सौंदर्यता और वीरता का वर्णन किया हे।बहुसंख्यक खटिक गोरे होते हे। खटिक एक आर्य जाति हे इसी लिए खटिक जाति का रूप गोरा होता हे। आर्य जाति होने से खटिको में रक्त उत्तम और शुद्ध पाया जाता हे।
पश्चिम बंगाल भारत का हिस्सा हे वह इसी वीर योद्धा खटिक जाति की वजह से ही हे। वीर खटिक जाति के गोपाल पाठा खटिक ने पश्चिम बंगाल और वहा के करोड़ों हिंदुओ की रक्षा की।खटिक जाति के लोग स्वयं को क्षत्रिय मानते और कहते हे।2405:201:5C11:430A:18EF:4F52:E5D9:EA9A (talk)09:53, 3 May 2023 (UTC)[reply]